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कम कीमत में ड्रोन से करें यूरिया का छिड़काव, जानें एक एकड़ का कितना है चार्ज

ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव किसानों के लिए एक क्रांतिकारी तकनीक साबित हो रही है। इस तकनीक के फायदे और उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी निम्नलिखित है:

ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव: फायदों और चार्ज की जानकारी

1. समय और लागत की बचत

  • समय की बचत: पारंपरिक तरीकों की तुलना में, ड्रोन का उपयोग करके नैनो यूरिया का छिड़काव केवल 1-2 घंटे में पूरा हो जाता है, जबकि पहले यह 4-5 घंटे लगता था।
  • लागत: ड्रोन सेवा का चार्ज ₹300 प्रति एकड़ है, जो किसानों के लिए एक सस्ता और प्रभावी विकल्प है।

2. नैनो यूरिया के फायदे

  • उपयोगिता: नैनो यूरिया मिट्टी और फसल दोनों के लिए लाभकारी है। यह फसलों को नाइट्रोजन प्रदान करता है और मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बनाए रखता है।
  • लागत प्रभावी: नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया की तुलना में सस्ता होता है और फसलों में सूक्ष्म रूप से प्रवेश करता है।
  • पर्यावरण मित्र: यह पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाता है और फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है।
  • वर्धन गुण: यह क्लोरोफिल को बढ़ावा देता है, उपज को वर्धित करता है और जलवायु के अनुसार फसलों पर काम करता है।

3. छिड़काव की प्रक्रिया

  • समय: बीज डालने के बाद, जब पत्तियां उगती हैं, तब पहली बार नैनो यूरिया का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद फसल में दो बार और छिड़काव किया जाता है।
  • पद्धति: ड्रोन द्वारा छिड़काव में, यूरिया सीधे पत्तियों पर लगता है, जिससे जड़ों तक नाइट्रोजन पहुंचता है और मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम नहीं होती।

4. ड्रोन का उपयोग और बुकिंग

  • उपलब्धता: देहरादून में तीन ड्रोन उपलब्ध हैं, जिनमें दो पायलट और एक महिला ड्रोन ऑपरेटर के रूप में काम कर रही हैं।
  • बुकिंग के तरीके:
    1. ऑनलाइन: IFFCO किसान उदय ऐप डाउनलोड करके ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
    2. संपर्क: सीधे ड्रोन पायलट से संपर्क करके भी बुकिंग की जा सकती है। (संपर्क नंबर: 97607 53435)
    3. स्थानीय समितियों: अपने नजदीकी सहकारी समिति में जाकर भी ड्रोन पायलट से संपर्क किया जा सकता है।

निष्कर्ष

ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव किसानों के लिए एक सुविधाजनक और आर्थिक विकल्प प्रदान करता है। यह तकनीक न केवल समय की बचत करती है बल्कि लागत को भी कम करती है और फसलों के स्वास्थ्य को सुधारती है। इसके माध्यम से किसान अधिक कुशलता से अपने खेतों की देखभाल कर सकते हैं और बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।

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